भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय को अयोध्या मसाले पर का २४ सितम्बर को फैसला सुनाने पर रोक लगा दी है / सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसा रमेश चन्द्र त्रिपाठी की याचिका पर किया है /
मै समझ नहीं पा रहा हूँ रमेश चन्द्र के इस तर्क को कि, जिस मुद्दे पर विगत ६० वर्षों से मुक़दमा चल रहा है और कल फैसला सुनाया जाना था उसे रमेश चन्द्र समझौते और दंगे की दुहाई दे करके बार - बार फैसले को रोकने की कोशिश क्यों कर रहे है / रमेश चन्द्र को क्यों विश्वास है कि फैसले के बाद दंगे होंगे और स्थिति को पुलिस और अर्ध सैनिक बल नियंत्रित नहीं कर पायेंगे ? आखिर इसके पीछे उनके पास कौन से तर्क है या कौन से विश्वसनीय एजेंसी ने उन्हें सूचना मुहैया कराई है कि, फैसले के बाद दोनों में से किसी एक धर्म के लोग हिंसक हो उठेंगे ? फैसले के मद्देनज़र जितने बलों की अब तक तैनाती हो चुकी है उसे और कितने दिनों तक तैनात रहना पड़ेगा उसका खर्च कहा से किस मद से उठाया जाएगा ? कब तक आम भारतवासी को हरी और खाकी वर्दी वालो के बीच संगीनों के साये में रहना पडेगा ? ६० वर्षों तक न्यायालय के बाहर कोई सुलह समझौता नहीं हुआ और ऍन फैसले की घड़ी में सुलह का राग अलापा जा रहा है / इस पूरे मसले पर हमारी राज्य सरकारे क्यों चुप्पी साधे हुए है, एक व्यक्ति कह रहा है कि फैसले के बाद स्थिति नियंत्रण के बाहर होगी और बिना किसी जाच के बिना किसी पड़ताल के सब लग गए हिंसा को रोकने के क्रम में /
मै समझ नहीं पा रहा हूँ रमेश चन्द्र के इस तर्क को कि, जिस मुद्दे पर विगत ६० वर्षों से मुक़दमा चल रहा है और कल फैसला सुनाया जाना था उसे रमेश चन्द्र समझौते और दंगे की दुहाई दे करके बार - बार फैसले को रोकने की कोशिश क्यों कर रहे है / रमेश चन्द्र को क्यों विश्वास है कि फैसले के बाद दंगे होंगे और स्थिति को पुलिस और अर्ध सैनिक बल नियंत्रित नहीं कर पायेंगे ? आखिर इसके पीछे उनके पास कौन से तर्क है या कौन से विश्वसनीय एजेंसी ने उन्हें सूचना मुहैया कराई है कि, फैसले के बाद दोनों में से किसी एक धर्म के लोग हिंसक हो उठेंगे ? फैसले के मद्देनज़र जितने बलों की अब तक तैनाती हो चुकी है उसे और कितने दिनों तक तैनात रहना पड़ेगा उसका खर्च कहा से किस मद से उठाया जाएगा ? कब तक आम भारतवासी को हरी और खाकी वर्दी वालो के बीच संगीनों के साये में रहना पडेगा ? ६० वर्षों तक न्यायालय के बाहर कोई सुलह समझौता नहीं हुआ और ऍन फैसले की घड़ी में सुलह का राग अलापा जा रहा है / इस पूरे मसले पर हमारी राज्य सरकारे क्यों चुप्पी साधे हुए है, एक व्यक्ति कह रहा है कि फैसले के बाद स्थिति नियंत्रण के बाहर होगी और बिना किसी जाच के बिना किसी पड़ताल के सब लग गए हिंसा को रोकने के क्रम में /