Sunday, August 21, 2011

एक बुनियादी सवाल

एक बुनियादी सवाल - इस देश में ऐसी कौन सी सुविधा है जो कि सर्व सुलभ हो, आखिरी आदमी तक उसकी पहुच हो ?
- कपड़ा
- भोजन
- मकान
- शुद्ध पेय जल
- अस्पताल
- स्कूल
- रोज़गार
- बैंक
- सड़क
- रेलगाड़ी
- बस
- उर्वरक
- बीज
इन सुविधाओं को सर्वसुलभ किये बगैर क्या यह देश भ्रष्टाचार से मुक्त हो सकता है ?

Wednesday, August 17, 2011

ख्वाब देख ख्वाबों में ही चूर था /

आजकल एक आस सी रहने लगी है मन में, कि एक ऐसा दिन आएगा जिसका इंतज़ार युगों से है / ऐसा प्रतीत हो रहा है कि परिवर्तन बस चौखट पर ही है, लेकिन यह भ्रम है मेरा / परिवर्तन रुपी मृग मरीचिका, जिसका अस्तित्व अपने आप में ही नहीं है / हम सपना तो देख रहे है एक अच्छे कल की, लेकिन कल को अच्छा बनाने के लिए कर क्या रहे है ? अपनी जिंदगी को सरल बनाने और अपने आप को तमाम सुख के साधनों से मढने के अलांवा कर क्या रहे है / खुद को जगाते है और फिर मन बहलाकर सुलाते है / सपना क्रान्ति का देखते है लेकिन उसके लिए करते कुछ नहीं सिवाय बातों के / हर रोज आराम कुर्सी पर बिना चीनी के काली काफ़ी के साथ सोचते है कि अब समय गया है, अब और नहीं चुप रहना है / काफ़ी खतम होते ही यह विचार भी कही और चले जाते है, और फिर से निन्यान्बे का फेर / काफ़ी के मग में इतनी काफ़ी क्यों नहीं होती कि वो तब खतम हो जब विचार लक्ष्य बन चुका हो ? कल एक बड़ा मग खरीदूंगा फिर देखता हूँ कि, कैसे विचार बादलों की तरह उड जाते है बिना बरसे ?