Wednesday, August 17, 2011

ख्वाब देख ख्वाबों में ही चूर था /

आजकल एक आस सी रहने लगी है मन में, कि एक ऐसा दिन आएगा जिसका इंतज़ार युगों से है / ऐसा प्रतीत हो रहा है कि परिवर्तन बस चौखट पर ही है, लेकिन यह भ्रम है मेरा / परिवर्तन रुपी मृग मरीचिका, जिसका अस्तित्व अपने आप में ही नहीं है / हम सपना तो देख रहे है एक अच्छे कल की, लेकिन कल को अच्छा बनाने के लिए कर क्या रहे है ? अपनी जिंदगी को सरल बनाने और अपने आप को तमाम सुख के साधनों से मढने के अलांवा कर क्या रहे है / खुद को जगाते है और फिर मन बहलाकर सुलाते है / सपना क्रान्ति का देखते है लेकिन उसके लिए करते कुछ नहीं सिवाय बातों के / हर रोज आराम कुर्सी पर बिना चीनी के काली काफ़ी के साथ सोचते है कि अब समय गया है, अब और नहीं चुप रहना है / काफ़ी खतम होते ही यह विचार भी कही और चले जाते है, और फिर से निन्यान्बे का फेर / काफ़ी के मग में इतनी काफ़ी क्यों नहीं होती कि वो तब खतम हो जब विचार लक्ष्य बन चुका हो ? कल एक बड़ा मग खरीदूंगा फिर देखता हूँ कि, कैसे विचार बादलों की तरह उड जाते है बिना बरसे ?


7 comments:

Unknown said...
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Unknown said...

प्रशांत जी ये कोई बात नहीं ...कारण ये कि जिसका इंतज़ार है वह सुबह कभी तो आएगी सबको लगता है पर आने वाली है इसका कारण मुझे तो नहीं दीखता ....अन्ना का आन्दोलन भी उसे चौखट पर नहीं ला पाता....कारण इसके अपने कई अंतर्विरोध हैं और बात अन्ना भ्रष्टाचार पर करते हैं जबकि सरकार उसे जनलोकपाल ही मान रही है ....पाता नहीं क्यों लगता है यह भी अन्य कानूनों कि तरह ही फुस्स ना हो ......बाकि काफी कि मुग कि साइज़ से लक्ष्य बनाने कि बात पर सूझ तो मजाक रहा है पर तुम मेरी शुभ कामनाएं लो .....बाकी यह समस्त अंततः पढ़े अघाए मध्यवर्ग की वैचारिक फुसफुसाहट के अलावे कुछ भी और है तो मुझे समझ नहीं आया की क्या है ........क्रांति बोध

Yashwant R. B. Mathur said...

जन्माष्टमी की शुभ कामनाएँ।

कल 23/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Amrita Tanmay said...

बहुत सुन्दर..

सागर said...

sundar post...

विभूति" said...

सार्थक पोस्ट....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

:):) मग खरीद लिया क्या ? अच्छी पोस्ट