Thursday, August 12, 2010


कल
थाईलैंड की महारानी सुश्री सिरिकित का जन्म दिन था , थाई समुदाय इस दिन को राष्ट्रीय मातृ दिवस के रूप में मनाता है / आज के दिन सारे बच्चे अपनी माँ को बेला के फूलों का पुष्पगुच्छ भेट कर उनका अभिनन्दन करते है, और अभिनन्दन करने के लिए हरे रंग का वस्त्र पहनते है / आज के करीब दो दशक पहले यह परम्परा शुरू हुई और महारानी थाईलैंड का जन्म दिन आम माओं के लिए भी उनका अपना दिन बन गया / इस दिन को राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा सके और पूरे थाईलैंड में इसे मान्यता मिल सके, इसलिए थाईलैंड की सरकार ने इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित कर रक्खा है / महारानी के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर भव्य शाही कार्यक्रम राजमहल में आयोजित किया जाता है, इस कार्यक्रम में प्रधानमन्त्री सहित देश के हर बड़े अधिकारी और राजनेता सम्मिलित होते है / जब मुझे इस आयोजन का ज्ञान हुआ तो मैंने अपने कुछ थाई मित्रों से इस सन्दर्भ में जानना चाहा / उन लोगों से बात करके मेरा जो ज्ञान वर्धन हुआ वो भी सुख दुःख से लबरेज है / मेरे एक मित्र ने बताया कि कल मेरे बच्चे के स्कूल में सुबह की प्रार्थना के बाद प्राध्यापक ने सभी बच्चों से कुछ सवाल किये /
- क्या आप सभी लोग जानते है कि कल कौन सा दिवस है ?
- आप में से वे बच्चे हाथ उठाये जिनकी माँ नहीं है ?
दूसरा सवाल सुन करके कई हाथ तो ऊपर उठे, लेकिन उठाने के बाद उनकी आँखों में आंशू भर गए और वे अपने आपको अन्य बच्चों से अलग महसूस करने लगे / कई ने तो प्रार्थना के बाद चुपचाप स्कूल से बाहर निकलने का असफल प्रयास भी किया / मेरे मित्र ने आगे बताया कि जो बच्चे बड़े है और जिनको इस दिन का ज्ञान है और उनकी माँ ज़िंदा नहीं है या किन्ही कारणों से साथ में नहीं रहती है, वो ११ अगस्त को स्कूल नहीं जाना चाहते है / मैंने जब यह सब सूना तो मेरी भी आँखे भर आयीं, किन्ही वजहों से अगर माँ साथ में नहीं है तो यह अपने आप में एक दुखद अहसास होता है, और अगर उसका सार्वजनिक रूप से अहसास कराया जाए तो असहनीय ही होगा /
आज पूरे दिन थाईलैंड के टीवी चैनलों पर मातृप्रेम के गीत सुबह से ही प्रसारित हो रहे है , अखबारों में कल शाम राजमहल में हुए शाही कार्यक्रम की खबर और चित्रों से भरे पड़े है / थाईलैंड मुझे एक अजीब तरह का देश लगता है एक तरफ तो आधुनिक सुविधाओं से संवृध और गरीबी से दूर लेकिन पुरानी परम्पराओं से जकड़ा हुआ / मैंने यहाँ के शहर, गाव और वो क्षेत्र भी देखे है जो कि अशांत और हिंसा ग्रस्त है, लेकिन मुझे भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश, , लाओस , कम्बोडिया और म्यांमार जैसी गरीबी नहीं दिखी / यहाँ के महाराज श्री भूमिबोल यहाँ के देवता गौतम बुद्ध के समानांतर पूजे जाते है लेकिन हमारे गणपति भगवान ने पता नहीं कैसे यहाँ के लगभग हर पवित्र और पूज्यनीय समझे जाने वाले जगहों पर अपनी जगह बनायी हुई है, यह मुझे थोडा आश्चर्यचकित करती है यहाँ / थाईलैंड की सरकार मातृ दिवस के अवसर पर हर वर्ष कुछ माताओं को सम्मानित भी करता है, वे माताएं जिन्होंने अपने जीवन में कुछ विशेष परिस्थितियों में अपने बच्चे या बच्चों का पालन पोषण करके उन्हें विशेष बनाया हो / इस वर्ष २२० माओं को सम्मानित करने के खबर मिली है, यह सम्मान समारोह पूरे देश में कई संगठनों के द्वारा आयोजित होता है / मातृदिवस के साथ - साथ यहाँ ५ दिसम्बर को राष्ट्रीय पितृ दिवस भी मनाया जाता है महाराज भूमिबोल के जन्मदिवस के अवसर पर /



2 comments:

रंजन said...

बहुत अच्छा लिखा प्रशांत.. कल हमने भी महसूस किया.. शाम को नॅशनल कंवेक्शन सेंटर पर आतिशबाजी भी हुई..

mukti said...

पता है मुझे भी ये बात हमेशा खलती है, बचपन से ही... जब भी किसी विज्ञापन में या सीरियल्स में माँ के बारे में भावुक दृश्य दिखाए जाते हैं, तो मुझे अपनी तरह के हर उस बच्चे का ख्याल आता है, जिसने बचपन में ही अपनी माँ को खो दिया.
बहरहाल, थाईलैंड के बारे में जानकर अच्छा लगा.