Sunday, September 19, 2010

मनरेगा और मिलेनियम डेवेलोपमेंट गोल

मनरेगा माने - महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार योजना, एक ऐसी अभूतपूर्व योजना जिसने हर मजदूर का नाम किसी ने किसी वित्तीय संसथान में लिखवा दिया / मजदूरी चाहे दो दिन की मिले या फिर योजना के अनुसार१०० दिन, भुगतान वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से ही होंगे यह बात तय है / यह बात तय हुई इसलिए कि, इससे मजदूरों का वित्तीय शोषण नहीं होने पायेगा / क्या वित्तीय शोषण रुका ? शोषण करने वालो के अलांवा हर कोई कहेगा कि नहीं बल्कि शोषण करने वालो की जमात में एक और बिरादरी बढ़ गयी / क्या शोषण और भ्रश्टाचार रोकना असंभव है ? भारत में यह सचमुच फिलहाल असंभव है / असंभव क्यों ? क्यूंकि यहाँ हर कोइ बिना मेहनत किये दोहरा लाभ चाहता है, मजदूर से लेकरके राजनेता सब भ्रष्ट और बटे हुए है, इमानदारी शब्द कोष में सो रही है/ आप को इलाहाबाद से दिल्ली जाना है, सुबह आप आरक्षण केंद्र पर पहुचिये तो आपको प्रतीक्षा सूची का टिकेट मिलेगा, थोड़ा दाए बाए नज़र दौड़ाएंगे तो किसी दलाल से आपको आरक्षित टिकेट मिल जाएगा और आप अपनी यात्रा कर सकते है, लेकिन इसमे भी अभी एक नए घोटाले का पर्दाफाश हुआ है कि, मुंबई के दलाल आरक्षण केंद्र से आरक्षित टिकेट खरीद कर यात्रियों को इन्टरनेट वाला कागज़ का टिकेट पकड़ा देते थे, यात्री यात्रा पर और दलाल पुनः आरक्षण केंद्र पर कि उसने यात्रा नहीं की कीन्ही कारणों से उसे उसका पैसा लौटा दिया जाए / रेल के नियम केहिसाब से बाबू उसे उसके ना यात्रा किये हुए टिकेट का भुगतान कर देती है और उधर यात्रा भी हो रही है / यह एकबानगी है भ्रष्टाचार की / क्या आपको लगता है कि बिना विभागीय मिलीभगत के यह संभव है ? आइये एक बार मिलेनियम डेवेलोपमेंट गोल की तरफ चलते है / २०१५ तक निम्नलिखित लक्ष्यों की पूर्ती हो जाने चाहिए -
- गरीबी और भूख से मुक्ति - भारत में यह मुक्ति का काम मनरेगा कर रहा है /
- सबको शिक्षा - अनिवार्य शिक्षा अधिनियम पास हो गया है और शिक्षामित्र लगे है सबको शिक्षा देने में /
- लैंगिक समानता - दहेज़ , कन्या भ्रूण हत्या , इज्जत के लिए हत्या / एक अच्छी बात कि समान लिंग के लोगोको एक साथ रहने का कानूनी अधिकार मिल गया है / शायद इसी को लैंगिक समानता कहते हो /
- स्वस्थ्य बच्चे - पोलिओ ड्राप और खिचडी बना रही है स्वस्थ बच्चो को /
-मातृत्व स्वास्थ - आयरन की गोलिया और अस्पताल के गेट पर हो रहे प्रसव , अप्रशिक्षित दाइयो के द्वारा करायाजा रहा प्रसव /
- एच आई वी / एड्स से बचाव - लक्षित हस्तक्षेप परियोजना नाको, कांडोम बाटना और जो लोग नशीली दवाईयासिरिंज के माध्यम से लेते है उन्हें मुफ्त सिरिंज उपलप्ध करा रही है
- पर्यावरणीय स्थिरिता - बाँध बनाना , पहाड़ खोदना और नदी जोड़ना / नदी के किनारे सड़क बनाना सब जारी है
- और आखिरी लक्ष्य वैश्विक साझेदारी - किस देश का कौन सा सामान, कौन सा हथियार कैसे कपडे आप ख़रीदना चाहेंगे भारत में / कई देशो के गैर सरकारी संगठनो के कार्यालय भारत सहित अन्य देशो में भी खुल गए है, उपरोक्त लक्ष्यों की पूर्ती में यह लोग धन को पानी की तरह खर्च कर रहे है /
अब अंत में मैं इन बातो को पढ़ने वालो से यह कहना चाहूंगा और जानना चाहूँगा कि आप का क्या लक्ष्य है औरआपकी क्या भूमिका है उपरोक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने और कराने में / मैं यह भी जानना चाहूंगा कि क्या मनरेगा से भारत में गरीबी ख़तम हो जायेगी ? स्कूल में मिलने वाले पोषाहार से बच्चो में कुपोषण ख़तम हो जाएगा ? कांडोमऔर सिरिंज बाट कर एच आई वी - एड्स पर नियंत्रण हो सकता है ? भारत में कितने लोग प्रतिवर्ष तपेदिक और जल जनित्र बीमारियों से मरते है ? कितने मजदूरों का फेफड़ा सिलिकासिस की वजह से खराब हो गया है ?
आइये तय करे कि हमें इस शहस्राब्दी के झूठे लक्ष्यों के पीछे अपनी ऊर्जा लगानी है या सचमुच के परिवर्तन की दिशा में श्रम करना है / कृपया सोचे और इस बात को बहस का विषय बनाए / हमारे अधिकतम गैर सरकारी संगठन बिना परिणाम के बारे में जाने इस लक्ष्य के पीछे दिन रात एक किये हुए है / ज़मीन की मालिकाना हक़ का मुद्दा , जल - जंगल - ज़मीन का मुद्दा मनरेगा से पीछे कैसे छूट गया ?
धन्यवाद /

/ /

1 comment:

ओशो रजनीश said...

पर ये तयकरेगा कौन ... तय करने वालो में भी तो भ्रस्ताचारी मौजूद है ....

इसे भी पढ़कर कुछ कहे :-
आपने भी कभी तो जीवन में बनाये होंगे नियम ??