थाईलैंड के १९ मंडलों में आपातकाल पिछले ३ महीने से लागू है, लेकिन यह आपातकाल कही पर नज़र नहीं आता है / कल शाम को यूँही मै बैंग्काक के खाउसन रोड पर जा पहुचा, खाउसन रोड विदेशी पर्यटकों का पसंदीदा जगह माना जाता है / यहाँ कल भी उतनी ही चहल पहल थी जितनी की ३ महीना पहले या उससे पहले हुआ करती थी / आपातकाल को ठेंगा दिखाते हुए सारी दुकाने, मयखाने अपने पूरे अंदाज़ में पर्यटकों के लिए खुले हुए थे / सड़क परपूरी दुनिया के पर्यटक चहलकदमी कर रहे थे / मै एक रेस्तरां में बैठ कर अपने खिचड़ी हो रहे बालो पर उंगली फेरते हुए थाईलैंड, आपातकाल और खाउसन रोड पर खुद से ही परिचर्चा करने लगा / क्या देश है क्या कानून है ? हमारे यहाँ तो अगर धारा १४४ लागू हो जाती है तो बाज़ार और आम जन जीवन पर प्रभाव पडने लगता है, कर्फ्यू और आपातकाल में तो जन जीवन ठप ही हो जाता है / यहाँ आपातकाल में भी कोई समस्या नहीं है / और खाउसन रोड ही क्या पूरा बैंग्काक ऐसे ही अपने पुराने ढर्रे पर है / मई के महीने में बैंग्काक के एक दर्जन से अधिक व्यावसाईक इमारतों में आग लगा दी गयी थी एक हिंसक भीड़ के द्वारा / यह वीरान और भुतही सी जली हुई इमारते क्या सोचती होंगी ? इन्हें अपने जल जाने पर तरश भी आता होगा, और बाकी सारे शहर पर यह लानत भी देती होंगी, और शायद मन ही मन यह भी कहती होंगी की कभी हमभी जवान थे कभी हम भी हिस्सा थे इस शहर के /
"ज़िंदगी कभी पीछे मुड कर नहीं देखती है, कल को भुला कर आज में जीने लगती है"
बैंग्काक भी ऐसा ही है, बहुमंजिली बाज़ार के जल जाने के बाद फुटपाथ पर दुकाने खुल गयी / धंधा नहीं होगा तोज़िंदगी कैसे चलेगी, धन तो कमाना ही है कल तक वातानुकूलित बहुमंजिली इमारत में दूकान थी ,और आज टेंट के नीचे फुटपाथ पर / कुछ मंदा ही सही लेकिन धंधा शुरू हो गया / इसे जीवटता कहेंगे या समय के साथ समझौता, मै नहीं तय कर पा रहा हूँ /
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"ज़िंदगी कभी पीछे मुड कर नहीं देखती है, कल को भुला कर आज में जीने लगती है"
बैंग्काक भी ऐसा ही है, बहुमंजिली बाज़ार के जल जाने के बाद फुटपाथ पर दुकाने खुल गयी / धंधा नहीं होगा तोज़िंदगी कैसे चलेगी, धन तो कमाना ही है कल तक वातानुकूलित बहुमंजिली इमारत में दूकान थी ,और आज टेंट के नीचे फुटपाथ पर / कुछ मंदा ही सही लेकिन धंधा शुरू हो गया / इसे जीवटता कहेंगे या समय के साथ समझौता, मै नहीं तय कर पा रहा हूँ /
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1 comment:
यह ना जीवटता है और ना समझौता.. यह तो जीवन चलाने कि जद्दोजेहद में लगे हुए आम लोग हैं जिन्हें अमूमन इन क्रांति या दंगो से कोई मतलब नहीं होता है.
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